रविवार, 28 जून 2020

गुच्छे

बस छह क़दम की जगह को
कुछ साइकिलों के गुच्छे ने
भीगने से बचा रखा है
ख़ुद भीगते जंक खाते ये गुच्छे
वो छत हैं
जिसके तले कई क़िरदार महफूज़ हैं
महफूज़ हैं
नन्हीं हंसी और किलकारियां
चूल्हे की आंच
तेल की झार
रोटी की ख़ुशबू
और गुड़ की मिठास
महफूज़ है कोई
लरजती कांपती बूढ़ी आवाज़
और महफूज़ है किसी के दो हाथों की
चार चूड़ियां
साथ ही महफूज़ है
इसके सवार की भीगती रूह
जिसका जिस्म अब महज़ कंकाल है
इस तरह से बस छह क़दम की जगह को
कुछ साइकिलों के गुच्छे ने
भीगने से बचा रखा है।



सौम्या वफ़ा।(1/1/2019).

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