रविवार, 28 जून 2020

रात

रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं
सूरज ने दिन का उजाला
तो दिखाया है
पर रात के अंधेरों में
अपना साया खो आया हूं
रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं
दिन की सारी कमाई लेकर
कोई एक रात मुझे फिर
रात के साथ दिला दे
मैं रात रात भर
रात के लिए तड़पा हूं
रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं।



सौम्या वफ़ा। (18/8/2019).

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