रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं
सूरज ने दिन का उजाला
तो दिखाया है
पर रात के अंधेरों में
अपना साया खो आया हूं
रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं
दिन की सारी कमाई लेकर
कोई एक रात मुझे फिर
रात के साथ दिला दे
मैं रात रात भर
रात के लिए तड़पा हूं
रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं।
सौम्या वफ़ा। (18/8/2019).
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं
सूरज ने दिन का उजाला
तो दिखाया है
पर रात के अंधेरों में
अपना साया खो आया हूं
रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं
दिन की सारी कमाई लेकर
कोई एक रात मुझे फिर
रात के साथ दिला दे
मैं रात रात भर
रात के लिए तड़पा हूं
रात तेरे पहलू से मैं
सुबह को जो निकला हूं
ख़ुद से बेगाना हूं
रूह से बिछड़ा हूं।
सौम्या वफ़ा। (18/8/2019).
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें