रविवार, 28 जून 2020

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी से और कुछ नहीं
बस एक सांस भर ज़िन्दगी चाहिए
एक सांस जिसमें सारी हवा भर के
ज़िन्दगी बादलों के बीच उड़ती हो
एक सांस जिसमें सारी फिज़ा भर के
किसी पागल धुन में
मेरी रूह फिरती हो
एक सांस जो आख़िरी हो
मगर उसमें पहली सांस वाली बात हो
एक सांस जिसमें घुल के
हवा इत्र बन जाती हो
एक सांस जो छूटे जां से
तो मुस्कुराती हो
एक सांस जो बिना वजह मन को गुदगुदाती हो
ज़िन्दगी से और कुछ नहीं
बस एक सांस भर ज़िन्दगी चाहिए।


सौम्या वफ़ा।(6/1/2019).



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