ये मन पापी,
बड़ा पुण्यवान है
यूँ तो सारे पापों की खान है
पर जो मन का मन चाहे तो
मनका मनका फेर मन
मन ही अल्लाह राम है
मन ही किशन
मन ही एक
बुद्ध अटल
मन ही सत्यवान है
मन चले जो ढूंढ़ने सत्य तो
देखे ,छुए , मुँह लगाए
मन को भाये सब कुछ
मन पाए जग सारा,
पाए सब जो है मिथ्या
पर बिन मिथ्या का कलंकी
तिलक लगाए
मन छोड़ ना सके
वो जो भी छोड़ना चाहे
मन है प्रयोगों का विज्ञान !
या व्यसनी दुराचारी है !?
मन आदम का अब भी वानर है
जो ना चखे स्वाद तो
लड्डू , पेड़ा भी
अदरक है
मन है भरमाये सबको
करम से
मगर छुप के है नियत से निभाए
क्या पुण्य है क्या पाप
ये फैसला वही करे
जो मंतर फूंके
मन पे
नियत के उपाय,
मन बिन नियत के
बड़ा गुमनाम बड़ा अनजान है
बिगड़ जाये छटूले बच्चे सा !
जाने काहे का अभिमान है ?
मन की करो तो मन
एक सर्वोत्तम सखा
सुखवान है ;
मन की एक ना सुनो तो
बिगड़े सारे संधान हैं
ये मन पापी
बड़ा पुण्यवान है।
सौम्या वफ़ा।
बड़ा पुण्यवान है
यूँ तो सारे पापों की खान है
पर जो मन का मन चाहे तो
मनका मनका फेर मन
मन ही अल्लाह राम है
मन ही किशन
मन ही एक
बुद्ध अटल
मन ही सत्यवान है
मन चले जो ढूंढ़ने सत्य तो
देखे ,छुए , मुँह लगाए
मन को भाये सब कुछ
मन पाए जग सारा,
पाए सब जो है मिथ्या
पर बिन मिथ्या का कलंकी
तिलक लगाए
मन छोड़ ना सके
वो जो भी छोड़ना चाहे
मन है प्रयोगों का विज्ञान !
या व्यसनी दुराचारी है !?
मन आदम का अब भी वानर है
जो ना चखे स्वाद तो
लड्डू , पेड़ा भी
अदरक है
मन है भरमाये सबको
करम से
मगर छुप के है नियत से निभाए
क्या पुण्य है क्या पाप
ये फैसला वही करे
जो मंतर फूंके
मन पे
नियत के उपाय,
मन बिन नियत के
बड़ा गुमनाम बड़ा अनजान है
बिगड़ जाये छटूले बच्चे सा !
जाने काहे का अभिमान है ?
मन की करो तो मन
एक सर्वोत्तम सखा
सुखवान है ;
मन की एक ना सुनो तो
बिगड़े सारे संधान हैं
ये मन पापी
बड़ा पुण्यवान है।
सौम्या वफ़ा।
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