शुक्रवार, 15 मई 2020

मॉडर्न मजनूं

ये कथा है मॉडर्न
छैल छबीले मजनूं की
उसकी चंगुल में फंस गई
उड़ती फिरती स्वतंत्र लैला की
लैला के उसने पंख सजाए
 ख़ुद नए नए रंगों से
बोला उसने जब
 मैं उडूंगी अब
इतराते खुले गगन में
मजनूं ने बोला जा मेरी लैला
फुर्र फुर्र उड़ आ
सोचना ना मैं शिकारी हूं
मैं तो दिन रात करता रखवाली हूं
डालूंगा तुम्हारे गले में रस्सी
तुम उड़ आना जहां तक हो
मेरी मर्ज़ी
लैला बोली , तुम तो बड़े
मतलब के साथी हो
पंख हैं सजीले
 मगर उड़ने से कतराते हो
कहते हो आशिक़ हो
पर हरकतें तुम्हारी बनिया सी
बेहिसाब मेरे प्यार का
जोड़ तोड़ हिसाब लगाते हो
एक भी करूं पुकार मनुहार
तो कभी खीजते कभी खिसियाते
कभी बत्तीसी दिखलाते हो
लेकर गाड़ी लगाकर हैट
सूट बूट पहने झोला दाबे
हाथों में मेरा हाथ थाम
कभी पिक्चर कभी मेले में ले जाते हो
प्रॉब्लम है दिल की
पार लगाना है अनमोल ज़िन्दगी
और तुम दिखलावे को
मार्केट प्राइस में बिकता हुआ
 पैक गिफ्ट ले आते हो
अच्छी अच्छी गप गप करके
कड़वी कड़वी सब थू कर जाते हो
प्यार जताने को अंधेरे में ले जाते
सपनों के सितारे दिखलाते हो
बातें करवा लो लंबी चौड़ी
पर जिम्मेवारी नहीं उठाते
कहते हो हम हैं जीवन साथी
इधर उधर टहलाते जाते
पर हाथ मांगने कभी घर नहीं आते हो
इरादे तुम्हारे नेक नहीं
तुम होगे अंट्रू
हम ट्रू हैं फ़ेक नहीं
तुम्हारे फ़ोन का पासवर्ड
 होगा बहरूपिया
हमारा तो ओपन सीक्रेट है
कोई लॉक नहीं
समझ गई हूं तुम्हारी नियत में ही डेंट है
गट फीलिंग में मेरी दम
सेंट परसेंट है
मजनूं मेरे प्यारे
रख लो तुम अपने रंग सारे
ख़ुद को लगा लो ये रस्सी
और ख़ुद पे डालो पांसे
माना तुमने खेल रचाने में
बहुत ख़ूब मेहनत की थी
सुन लो मेरे प्राण प्यारे
ये कथा यहीं तक ही थी
तुम्हारे इस प्रेम गेम का
अब ये दी एंड है।



@सौम्या वफ़ा।©


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