मुस्कानें बांटों
ठहाके बटोरो
बिखेर दो रंग ज़िन्दगी के
जिस राह से भी गुजरो
मगर अपनी खुशियों को ख़ुद में ही छिपा के रखो
खुशियां खज़ाना हैं
छिपी होंगी तो महफूज़ होंगी
बांटने की कोशिश में
लुट जाएंगी सारी की सारी
सब छीन लेगा ज़माना और तुम्हारे हाथ ख़ाली
महफ़िल देखेगी तमाशा और बजाएगी ताली
ख़ुशी तुम्हारी
बस तुम्हारी ही ख़ुदा है
बाकियों के लिए बर्फी या खजूर
या काफ़िर कहलाएगी
इसलिए मुस्काने बांटों
ठहाके बटोरो
बिखेर दो ज़िन्दगी
जिस राह से भी गुजरो
लगे रह गया है कुछ
तो गुल बनकर बिखर जाओ
और खुशबुएं भी बिखेर दो
मगर अपनी खुशियों को
बस ख़ुद में ही छिपा के रखो।
सौम्या°
ठहाके बटोरो
बिखेर दो रंग ज़िन्दगी के
जिस राह से भी गुजरो
मगर अपनी खुशियों को ख़ुद में ही छिपा के रखो
खुशियां खज़ाना हैं
छिपी होंगी तो महफूज़ होंगी
बांटने की कोशिश में
लुट जाएंगी सारी की सारी
सब छीन लेगा ज़माना और तुम्हारे हाथ ख़ाली
महफ़िल देखेगी तमाशा और बजाएगी ताली
ख़ुशी तुम्हारी
बस तुम्हारी ही ख़ुदा है
बाकियों के लिए बर्फी या खजूर
या काफ़िर कहलाएगी
इसलिए मुस्काने बांटों
ठहाके बटोरो
बिखेर दो ज़िन्दगी
जिस राह से भी गुजरो
लगे रह गया है कुछ
तो गुल बनकर बिखर जाओ
और खुशबुएं भी बिखेर दो
मगर अपनी खुशियों को
बस ख़ुद में ही छिपा के रखो।
सौम्या°
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें