शुक्रवार, 15 मई 2020

अजायबघर

ज़िन्दगी एक कांच का अजायबघर
अजूबे की माया है
चील कौओं की लड़ाई
बंदर बांट का तराज़ू
गीदड़ की दादागिरी
शेर की सिट्टि पिट्टी गुम
चूहे की चालाकी
सांप की जकड़न
जमूरे के नाच का आंगन
जादूगर का पिटारा है
किसी के पेट की मरोड़ें
किसी के हाथ की रेखा
किसी की घिस चुकी बट्टी
किसी का टूटा सिलबट्टा
किसी के माथे का सितारा है
किसी की पिस्ती चक्की
किसी के चाक से उतरा पहिया
किसी की ऊंची उड़ान
किसी की लंबी छलांग
किसी की तेज़ रफ़्तार
किसी के आहिस्ते चलने का हुनर
किसी की झटपट धरपकड़
किसी का सधा शिकार
किसी के बच निकलने की अदा है
किसी के पंखों में सतरंगी रंग
किसी के पंख पसारना भी ज़ाया है
कोई जिए ऐसे जैसे सब है आज
कल फिर कभी होगा नहीं
कोई जिए कल - कल में
जैसे आज का मोल भाव
सेंसेक्स में जाना नहीं
किसी के ख़्वाब हकीकत हैं
किसी का ख़्वाब देखना
बेवकूफी़ का तानाबाना है
कोई उड़े लेकर जेट प्लेन
कोई उड़ जाए भरकर जेबों में बैंक
कोई दो वक़्त की रोटी लूटे
किसी की कॉफ़ी की कीमत
महीने भर का राशन है
कहीं रोल्स रॉयस ,लीमोसीन
कहीं जगुआर और वॉल्क्स वैगन है
कोई खींचे हाथ गाड़ी पर गिरस्ती
कोई पटरी के नीचे आ जाए
कोई सड़क पर ही जन दे बच्चा
कोई तोड़ कर रीढ़ खींचे
ट्राली बैग पे जच्चा
किसी को भाए पिंजरे में रहना
कोई खुली हवाओं का हमसाया है
कहने को बस नाम आदम है
फ़र्क मगर सिर्फ़ इतना है
कोई जानवर है
कोई जनावर है
किसी ने सजाया किसी ने बेचा
किसी ने पाया किसी ने गंवाया है
ज़िन्दगी एक कांच का अजायबघर
अजूबे की माया है।


सौम्या वफ़ा।©

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