तुम ठंडी ठंडी सी बहती हवा
और मैं लहराकर उमड़ता पानी
तुम शान्त सहज शीतल सी चितवन
मैं बिखरी बिखरी सिमटी सी सुंदर
तुम चित्त शून्य एक
मैं महके महके रंग अनन्त
तुम सुलझी सुलझी सी उलझन
मैं उलझी उलझी सी सीधी सरल
तुम नील गगन के पन्ने अनेक
मैं उससे बरसती स्याही
तुम थोड़े सच्चे झूठे मौजी मगन
मैं कच्ची पक्की सी सच्ची लगन
मैं तुम्हारी जली बुझी सी धूनी की लौ
तुम मेरी भीगी भीगी
भीनी सी हैरानी
तुम ठंडी ठंडी सी हवा
और मैं लहराकर उमड़ता पानी।
सौम्या वफ़ा।©
(26.4.2020)
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