सोमवार, 18 मई 2020

सहज

निर्मल पावन सी तरंग हो जाओ
मेरी सांस तुम सहज हो जाओ
अाई हो कि गई कोई भान ना हो
ऐसी सूक्ष्म अनन्त हो जाओ
मेरी सांस तुम सहज हो जाओ
सहजता कोई भाव नहीं एक
शून्य सत्य है
तुम सत्य में विलीन हो जाओ
मेरी सांस तुम सहज हो जाओ
सहजता स्थिति नहीं सिद्धि है
तुम एक सिद्ध योग हो जाओ
मेरी सांस तुम सहज हो जाओ
सिद्ध शून्य से बड़ा कोई चमत्कार नहीं
तुम स्वयं में विलीन हो
इस चमत्कार से चमत्कृत हो जाओ
मुझमें आती हो बस जाती हो
ऐसे ही कण कण में बस जाओ
अगण्य हो अब
नगण्य हो जाओ
मेरी सांस तुम सहज हो जाओ
निर्मल पावन सी तरंग हो जाओ
मेरी सांस तुम सहज हो जाओ।


सौम्या॰

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