रविवार, 11 अक्टूबर 2020

रात रात भर रात रानी जगे

 रात रात भर रात रानी जगे

महके भीनी बावरिया

पिया को पुकारे

बेला, जूही को पलने पे सुलाके

चली रात रानी हवा पे बैठ

सजधज गोरी के गजरे पे

उतरने को पिया के सिरहाने

गेसू खोले गोरिया

पिया होए मदहोश

रात रानी का ऐसा जादू

सुभो तक ना आए

पिया को होश

सेज में पिस जाए रात रानी

पिस जाए जैसे चन्दन संग

महका पानी

धूप सेंक थकी पाती दिन भर सोए

रात ढले बन बावरी

रात रानी

बन ज्योत जले

महके रूप में

दहकती चांदनी सजे

चांद की सीत लागे

रात रानी की प्रीत जगे

पिया संग बावरी

सबा पे सेज डाले

खिले रात के गहरे

रहस्य के रस में

भर भर नैनों में

पी पी पुकारे

रात रात भर रात रानी जगे

महके भीनी बावरिया

पिया को पुकारे

महके भीनी बावरिया

पिया को पुकारे

रात रात भर रात रानी जगे।


सौम्या वफ़ा।©°

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