सोमवार, 24 फ़रवरी 2020

एक कविता

मुझे नहीं गढ़नी है वो कहानियां
जिनमें कविताएं गुम हो जाती हैं
कि जब भी कहानियां गढ़ो
तो कविताएं जाने कहां गुम हो जाती हैं
ठीक वैसे ही
जैसे जीते तो हैं सांस लेने के लिए
मगर कहानी गढ़ने की रस्साकशी में
सांस लेने की फ़ुरसत ही नहीं मिल पाती है
पर जब हम संग
कविता जी रहे होते हैं
तो साथ कितनी ही कहानियां
बनती चली जाती हैं
किसी जादूई चाबी की तरह
हर रहस्य को खोलती चली जाती हैं
बिल्कुल वैसे ही जैसे
जब सांस भरो तो
ज़िन्दगी में जान आ जाती है

मुझे नहीं चाहिए तुमसे
ये कहानियों की उलझन
मुझे गोदभराई में देना तुम
अपनी कविता की सहजता
जीने को मत देना वही
सहारा पुराना कहानियों का
मुझे देना जीने की वजह
गोद में देकर कोई नई कविता

मुझे मत बनाना तुम अपनी कहानी
जो तानेबानो में फंस कर रह जाती है
मुझे बना लेना तुम अपनी कविता
जो सांसों में घुलकर
 हवा में बस जाती है।

मुझे नहीं गढ़नी है वो कहानियां
जिनमें कविताएं गुम हो जाती हैं।


सौम्या वफ़ा।©

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