बुधवार, 18 मार्च 2020

नया नाम पता नया

मैंने नाम ही नहीं बदला
पहचान बदली है
राहें नहीं बदलीं
मंज़िल बदली है
जहां से तुम चले थे छोड़ के
वहीं से नई चाह मिली है
पानी में डूबते की आह थी
मगर डूब के ही थाह मिली है
तुम चले जो आगे
छोड़कर मुझे पीछे
तो मैंने भी उप्पर की राह पकड़ी है
तुमने आकाश होके ज़मीं पे चलना चुना
तो मैंने भी आसमां में उड़ने की चुनी है
मैंने पता ही  नहीं  सूरत भी बदली है
ठिकाना ही नहीं सीरत बदली है
तुम आओ पहचानने तो
ख़ुद को ले के आना
मैंने हर नए पते की चाबी ,आज भी
तुम्हारी ही जेब में रक्खी है
तुम पहचान लोगे मुझको
जो तुमने ख़ुद की पहचान
पहचान ली है
मैंने नाम ही नहीं बदला
पहचान बदली है।

सौम्या वफ़ा।

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