मैं ज़्यादा कुछ नहीं
बस खाली हो जाना चाहती हूं
कोई रंग नहीं
बस
पानी हो जाना चाहती हूं
मेरे सीने पे कोई चेहरा मत खींचो
मैं कोई परछाईं नहीं
उजले पानी की एक
लकीर हो जाना चाहती हूं
कभी सख़्त सी बरफ
कभी भाप बनकर
उड़ जाना चाहती हूं
रंगों का गुबार नहीं
एक रंग
हवा हो जाना चाहती हूं
मैं फ़िर से वही खाली कोरा
कैनवस हो जाना चाहती हूं
कोई रंग नहीं
बस पानी हो जाना चाहती हूं।
@सौम्या वफ़ा।©®
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