जब भी तुम मुझे कोई ज़रूरी काग़ज़ देते थे
मैं उसे बहुत ही ज़रूरी जानकर संभाल कर रख देती थी
फिर बरसों कोई सुध ना लेने के बाद
अचानक जब भी तुम्हें वो काग़ज़ याद आता
तुम उसको वापस पाने के लिए
पूरे घर भर में हाहाकार मचा देते
फ़िर मैं बड़े जतन से सारी धरती एक कर देती
उस संभाल कर रखे काग़ज़ को ढूंढने में
और तुम सारा आकाश एक कर देते
फ़िर बड़ी उथल पुथल के बाद
जब वो क्षितिज पर धुंधलाता
धूल खाता पड़ा दिखता
जैसे बरसों से किसी ने सुध ही ना ली हो
तब फ़ौरन इधर से आकाश
उधर से धरती दौड़ पड़ते
उस भूले बिसरे को फ़िर ज़िंदा करने
और मिल कर सब क्षितिज हो जाता
उसी ही तरह
बहुत ज़्यादा संभाल कर रखा था प्यार
कि बुरे वक़्त में ज़रूरत पड़ेगी
आज जब ज़रूरत पड़ी तो भूल गए कहां
छुपाया था
जब जब ढूंढो यही लगता है
यहीं तो रखा था
फ़िर गया कहां...???
@सौम्या वफ़ा।©®
मैं उसे बहुत ही ज़रूरी जानकर संभाल कर रख देती थी
फिर बरसों कोई सुध ना लेने के बाद
अचानक जब भी तुम्हें वो काग़ज़ याद आता
तुम उसको वापस पाने के लिए
पूरे घर भर में हाहाकार मचा देते
फ़िर मैं बड़े जतन से सारी धरती एक कर देती
उस संभाल कर रखे काग़ज़ को ढूंढने में
और तुम सारा आकाश एक कर देते
फ़िर बड़ी उथल पुथल के बाद
जब वो क्षितिज पर धुंधलाता
धूल खाता पड़ा दिखता
जैसे बरसों से किसी ने सुध ही ना ली हो
तब फ़ौरन इधर से आकाश
उधर से धरती दौड़ पड़ते
उस भूले बिसरे को फ़िर ज़िंदा करने
और मिल कर सब क्षितिज हो जाता
उसी ही तरह
बहुत ज़्यादा संभाल कर रखा था प्यार
कि बुरे वक़्त में ज़रूरत पड़ेगी
आज जब ज़रूरत पड़ी तो भूल गए कहां
छुपाया था
जब जब ढूंढो यही लगता है
यहीं तो रखा था
फ़िर गया कहां...???
@सौम्या वफ़ा।©®
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