तुम होते हो
तो मैं आसमां से
समंदर की गहराइयों में गिरकर
मोती सी हो जाती हूं
तुम ना हो
तो पत्ते पर
ठंडी ओस सी जम जाती हूं
धूप बनकर जो आ जाओ
तो पर से हैं लग जाते
और मैं
हवा में उड़ जाती हूं
छांव बनकर हो आते
तो मैं बादलों में ठहर जाती हूं
बेमानी सी इस दुनिया में
बार बार जाने कहां से
कोई मायने सी हो जाती हूं
तुम हो या ना हो
फानी सी इस दुनिया में
मैं हर बार पानी पानी हो जाती हूं।
@सौम्या वफ़ा।©®
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