Baatbaatpekavita
शनिवार, 8 फ़रवरी 2020
हौसले ख़्वाब और हक़ीक़त
हक़ीक़त की धुंध में खोने से पहले
हौसले से ख़्वाबों में सोए थे
बड़े जतन से एक एक
ख़्वाब संजोए थे
बिखरे तो सब ही बिखर गए
मगर
यूं ना हुआ
कि यूं ही बिखर गए
बिखरने से पहले
कमाल कर गए थे
नीम की शाख़ पर गुलमोहर बोए थे।
@सौम्या वफ़ा ©® ।
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