पहले आंखों में डूबकर
होंठों से मुस्कुराते थे
अब होंठ भींचकर
आंखों से मुस्कुराते हो
खुलती थीं जो आंखें
सीधी मेरी आंखों में
चूमते थे जो लब
मेरे होठों को बेवजह की बातों में
अब मुंदी होती हैं वहीं आंखें
और
लब भी सिले होते हैं
पहले बोलते थकते नहीं थे
अब कितना कुछ छिपाते हो
मैं पढूं गर तुमको तो
हथेलियों से
आंखों पे पर्दा गिराते हो
फिर जो सुनने को हूं तरसती
वो छोड़
बाकी सब कह डालते हो
सूने रह जाते हैं होंठ
और रूखी सी आंखें
सूखी रह जाती हूं मैं
पर भीज जाता है
सीने के पास आंचल
ना अलविदा ही कहते हो
ना फिर आने का कोई
वादा ही कर जाते हो
फिर जाने से पहले क्यूं,
हर बार मेरा माथा चूम जाते हो?
पहले मुहब्बत को
हर एक बहाना बताते थे
अब हर बहाने को
मुहब्बत जताते हो !
मुहब्बत करते थे पहले,
मगर अब
ख़ुद मुहब्बत हो जाते हो।
@सौम्या वफ़ा।©®
होंठों से मुस्कुराते थे
अब होंठ भींचकर
आंखों से मुस्कुराते हो
खुलती थीं जो आंखें
सीधी मेरी आंखों में
चूमते थे जो लब
मेरे होठों को बेवजह की बातों में
अब मुंदी होती हैं वहीं आंखें
और
लब भी सिले होते हैं
पहले बोलते थकते नहीं थे
अब कितना कुछ छिपाते हो
मैं पढूं गर तुमको तो
हथेलियों से
आंखों पे पर्दा गिराते हो
फिर जो सुनने को हूं तरसती
वो छोड़
बाकी सब कह डालते हो
सूने रह जाते हैं होंठ
और रूखी सी आंखें
सूखी रह जाती हूं मैं
पर भीज जाता है
सीने के पास आंचल
ना अलविदा ही कहते हो
ना फिर आने का कोई
वादा ही कर जाते हो
फिर जाने से पहले क्यूं,
हर बार मेरा माथा चूम जाते हो?
पहले मुहब्बत को
हर एक बहाना बताते थे
अब हर बहाने को
मुहब्बत जताते हो !
मुहब्बत करते थे पहले,
मगर अब
ख़ुद मुहब्बत हो जाते हो।
@सौम्या वफ़ा।©®
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें