रंगों की खुशबुओं को, जी भर के पीते रहना
आंखे बंद कर के,
खुशबुओं में
रंगों को टटोलना
पानी में घोल के पानी सा होना
उस रंगे पानी को फ़िर,
पानी से ही धो देना
जाने कैसे सीख लिया मैंने;
ख़ुद को रंग रंग के
फ़िर ख़ाली कर लेना
हर रंग के राग में रंग के
फ़िर पानी कर लेना।
@saumya_wafa0©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें