मखमली ख़्वाब
सुरमई जज़्बात
पंख महताब
दो लबों पे आब
और मेरे पल्लू के कोने से बंधा
एक टुकड़ा आफ़ताब
जीने को काफ़ी है मेरे
बस इतना सा असबाब।
@saumya_wafa0 ©
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