शनिवार, 25 अप्रैल 2020

कुछ ख़ुदा कुछ काफ़िर

ख़ुदा की लिखी डायरी
ज़िन्दगी हो गई
और ख़ुद की लिखी ज़िन्दगी
डायरी बन गई
उसने जब लिखी तो ख़ाली छोड़ दी
कि आगे के पन्ने हम भरेंगे
हमने जब लिखी तो ये समझ कर
कोरी छोड़ दी
कि बाकी के पन्ने वो भरेगा
अब बचे हुए पन्नों पर
कुछ नाम ख़ुदा
कुछ नाम काफ़िर होगा
उसके लिखे पन्नों पर ज़िन्दगी
हमारे लिखे पन्नों पर ख़ुदा होगा
हम लिखेंगे तो ख़ुल्द कहलाएगी
वो लिखेगा तो उस पर नाम ए 'वफ़ा 'होगा



सौम्या वफ़ा।©

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