रविवार, 26 अप्रैल 2020

दरिया

दरिया के इस पार थे लेकर नाम तुम्हारा
दरिया से उस पार को चले लेकर नाम तुम्हारा
जाना तुम्हें माझी
मगर तुम सैलाब निकले
डूबे फ़िर मझधार में भी
लेकर नाम तुम्हारा
सांसें भी टूटी
हिम्मत भी छूटी
बस फिर तिनके के सहारे
पार कर लगाया किनारा
ख़ामोश थे फ़िर भी
दुआ पढ़ी थी तब भी
एक नाम तुम्हारा
इस पार आके जो देखा पीछे तो
दरिया कहीं नहीं था
ना कहीं था किनारा
मुस्कुराए ख़ुद पे और देखा आईना
ख़ुद अब हम दरिया हैं
और लहरों पर है चेहरा तुम्हारा
किनारे पर लिखी है चेतावनी
कि दरिया गहरा है कितना
और उसके भी उप्पर है
नाम तुम्हारा।




सौम्या वफ़ा।©

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