तुम बड़े नटखट बड़े चंचल थे
जैसे भरी पूरी उमर में भी
बच्चे के बचपन थे
कितना खेला तुमने खेल खिलौनों से
कितने ही तोड़े फेंके
कितनों को रख कर भुला दिया
कितनों को ज़िद से हथिया लिया
तुम बड़े नटखट बड़े चंचल थे
जैसे भरी पूरी उमर में भी
बच्चे के बचपन थे
इस बार भी बहुत खेले तुम
थोड़े झूठ कुछ मुखौटे
कभी ख़ुद से लाए कभी हमसे लूटे
खेल खेल कर निकल गए
बोले हम हैं अव्वल खिलाड़ी
जाना हमने जब और चोरी पकड़ी
बोल के निकल गए कि
अरे पगली हम कब खेले
हम जो हारे तो हार गए
क्यूंकि हारे तो भी जीते!
तुम अपनी कहो
क्यूं पासा सच्चा खेला नहीं?
क्यूं फांसा तो झेला नहीं?
अब जो जग हंसे तुम पे
तो बच निकले;
अरे जा रे चल ,झूठे!!!
@सौम्या वफ़ा।©
जैसे भरी पूरी उमर में भी
बच्चे के बचपन थे
कितना खेला तुमने खेल खिलौनों से
कितने ही तोड़े फेंके
कितनों को रख कर भुला दिया
कितनों को ज़िद से हथिया लिया
तुम बड़े नटखट बड़े चंचल थे
जैसे भरी पूरी उमर में भी
बच्चे के बचपन थे
इस बार भी बहुत खेले तुम
थोड़े झूठ कुछ मुखौटे
कभी ख़ुद से लाए कभी हमसे लूटे
खेल खेल कर निकल गए
बोले हम हैं अव्वल खिलाड़ी
जाना हमने जब और चोरी पकड़ी
बोल के निकल गए कि
अरे पगली हम कब खेले
हम जो हारे तो हार गए
क्यूंकि हारे तो भी जीते!
तुम अपनी कहो
क्यूं पासा सच्चा खेला नहीं?
क्यूं फांसा तो झेला नहीं?
अब जो जग हंसे तुम पे
तो बच निकले;
अरे जा रे चल ,झूठे!!!
@सौम्या वफ़ा।©
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