रविवार, 11 अक्टूबर 2020

मिलन

 पिया से मिलूं तो

मिलन यूं होवे

पिया हों नील गगन

और मैं बरस जाऊं

बन घटा मेह

पिया संग बन कर्पूर

जले जिया, जले देह, जले दिया

मलूं आंखों में बना के अंजन

रात की काली कालिख

पारूं हथेलियों के बीच

सुरमई चांदनी

महके केवड़ा

बिखरे बेला

रंग एक लागे

दो तन पे, केसरिया

ना चूड़ी, पाज़ेब

ना चुंदरिया

बाजे बस सांसों की सारंगी

उतरे, लिपटे बस एक सी दो परछाई

लाज की माथे से बिंदिया

बाहों में भर उतारें पिया

मैं मल लूं गालों पे

गुलाबी भीनी अबीर

एक रंग नीला वो बन मीत साजें

एक रंग लाली बन

मैं हो जाऊं प्रीत

एक रंग मिलन का हो 

गहरी हरियाली

पिया से मिलूं तो

मिलन यूं होवे

पिया से मिलूं तो

मिलन यूं होवे

पिया हों नील गगन

और मैं बरस जाऊं

बन घटा मेह।


सौम्या वफ़ा।©


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