पिया से मिलूं तो
मिलन यूं होवे
पिया हों नील गगन
और मैं बरस जाऊं
बन घटा मेह
पिया संग बन कर्पूर
जले जिया, जले देह, जले दिया
मलूं आंखों में बना के अंजन
रात की काली कालिख
पारूं हथेलियों के बीच
सुरमई चांदनी
महके केवड़ा
बिखरे बेला
रंग एक लागे
दो तन पे, केसरिया
ना चूड़ी, पाज़ेब
ना चुंदरिया
बाजे बस सांसों की सारंगी
उतरे, लिपटे बस एक सी दो परछाई
लाज की माथे से बिंदिया
बाहों में भर उतारें पिया
मैं मल लूं गालों पे
गुलाबी भीनी अबीर
एक रंग नीला वो बन मीत साजें
एक रंग लाली बन
मैं हो जाऊं प्रीत
एक रंग मिलन का हो
गहरी हरियाली
पिया से मिलूं तो
मिलन यूं होवे
पिया से मिलूं तो
मिलन यूं होवे
पिया हों नील गगन
और मैं बरस जाऊं
बन घटा मेह।
सौम्या वफ़ा।©
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