तुम क्या गए, मानो
मैं ही इस जहां से चली गई
मेरी स्याही में डूबी
हमारी खुशबुएं
तीखी तेज़ धूप में सब
सूखकर उड़ गईं
मेरे जिस्म में कै़द कस्तूरी
जिसका पता सिर्फ़ तुमको मालूम था
उस पते पर अब तुम्हारे बिना
नहीं आती है कोई चंचल हिरनी
नहीं आती है चौखट पे कोई
पाक देवी
रातों में अप्सरा,
दिन में कोई दोस्त या सहेली
तुम आए थे जब, तो वादा किया था
मेरे रंगीन पंखों से दुगने चढ़ा के रंग
भरोगे मेरे कोरे पन्नों पर
नीला आसमान
वो आसमां जिसमें खुली आंखों से देखो तो
सात रंग होते हैं
और आंखे बंद कर के देखो
तो
हम तुम होते हैं
तुमने उतार तो लिए मेरे ही पंखों से रंग हज़ार
मगर पन्नों पर पीछे मुड़ के देखने को
एक दाग़ भी ना छोड़े
पन्ने तो थे ही कोरे
अब पंख भी हैं निरा सफ़ेद
हां वही सफ़ेद जो मेरा सबसे प्रिय रंग है
अब उसी रंग की मैं भी हूं
बिल्कुल सफ़ेद
यानी हर रंग का आदि, उद्गम हूं मैं
पहले गुलाबी थी, फ़िर तुमने हरा कर दिया
तुम्हारे रंगों ने नीला, तुमसे दूरी ने पीत
और तुम्हारे धोखे ने बिल्कुल सूखा भूरा
फ़िर भी क्या ही हुआ
सुबह हुई, रात हुई।
हर दिन यूं ही हुआ
और फ़िर चढ़ गया धीरे धीरे मुझपे
सुबह का लाल, और रात का काला
बीच में सब झक सफेद
और कोई रंग चढ़ाओ तो
पन्नों से सब उड़ जाता है
जैसे तेज़ हवा से हैरान
टूटी शाख़ पे बैठा
उम्मीदों का ढेर
और पंखों से फिसल कर बिखर जाते हैं रंग
जैसे दो हथेलियों के बीच
फिसल जाती है
बिना नींव की रेत
यूं ना समझना ये सिर्फ़ शिक़ायत थी कोई
मुझे एक आख़िरी बार तुम्हारा शुक्रगुजा़र होना था
जो तुम आए तो नाज़ुक सी छुईमुई को तोड़ मरोड़
कोमल कलियों को पीछे छोड़
बना गए अनचाहे ही मज़बूत पेड़
पहले तुम्हारे आसमां के सपनों में उड़ती थी
इसलिए आ गई ज़मीं पर
और खाई हैं चोटें गहरी
मगर जहां ये चोटें थीं
वहीं से अब
जमीं हैं ज़मीं की कोख़ तक
मेरी जड़ें गहरी
एक लड़की जो कभी थी
वो अब ना ख़ुद को जानती है
ना पहचानती है
अब वो जीती है हर दम ख़ुद में
एक ही पल में
सृष्टि रचने वाली औरतें कई
तुम गए तो सचमुच साथ में
मेरा भोलापन, मेरा अल्हड़पना
मेरी नादानी चली गई
अम्मा जानती हैं
अब बिटिया सयानी हो गई
मगर किसी से कहती नहीं है
उन्हें ज़रूर ख़बर है
कैसे सयाना होने में
बचपन खोया
कैसे जवानी खो दी
कि औरत को औरत गढ़ने में
सांचा आज भी
मर्द का धोखा ही है
तुम क्या गए मानो मैं ही इस जहां से चली गई
अम्मा फ़िर भी जब तब अलापती हैं
बिटिया परजीवी पुरुषों की दुनिया में
अक्सर,
औरत बनने की क़ीमत और प्रक्रिया यही है।
सौम्या वफ़ा।©
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