मोहब्बत तो हमारी थी
उनका फ़रेब था
वक़्त सारा
वफ़ा सारी
अर्थी को चढ़ा दहेज़ था
इश्क़ हमारा हैरानी
कारनामा उनका हैरतअंगेज़ था
लम्हों को समझे साज़ थे हम
उनका तो सब दांवपेंच था
रंग उतर कर हो गया था
पानी पानी
खाली हाथ खड़ा रंगों को रोता
रंगरेज़ था
दांव पड़ गए थे उलटे सब
बाज़ीगर के
जादूगर की टोपी से
जादू सारा छूमंतर था
बहरूपिये के मंच पर गिरा पर्दा
छिपा खेल था जगजाहिर
मगर आख़िर था
रांझे ने ही
लूट लिया था हीर को
हमराही ही रहज़न
हमनवा ही रक़ीब था
मोहब्बत तो हमारी थी
उनका फ़रेब था।
सौम्या वफ़ा। ©
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें