क्या हुआ था क्या क्या हुआ था
के अमन के सीने को चाक दुश्मन ने किया था
उस रात जो सोयीं थीं चादरें खींचे
मुँह तक जाने कितनी जानें
भूल सारे ग़म भूल सारे बहाने
आयी थी सुबह लेके पैग़ाम
जिसपे लिखे थे फ़साने
पहली आज़ादी के
क़ुर्बान हुयी जिसपे
जाने कितनी आग़
यहाँ से वहां तलक लाल आब
बहते क़िस्सों से लबालब लाल
पलटी सूरतों से पटी चेनाब
तिरंगे पे बरसी थी पिचकारी लहू की
नाम लिखने को आज़ादी के,
आज़ादी ये तेरी, आज़ादी ये मेरी
विरासत तेरी है,अमानत है मेरी
इस आज़ादी पे नाम लिखे हैं
ढेरों शहादत के, गुमनामी के
जलते रहें शान से चिराग़ इसके
कीमतें चुकाई थीं पीढ़ियों को
पहले पहले पर फड़फड़ाने को जाने
कितनी बुझ चलीं उड़ानों ने
दिलो जान से खिले
दुनिया के चेहरे पे लेके अमन
गुलिस्तां बनके मेरा आज़ाद वतन
देके संदेसा गुज़र गयी
लहर वो उबलते एहसासों की
आज़ाद हो तुम आज़ाद ही रहो
ऊंची रहे सदा तेरी आज़ादी की
नस नस दौड़ती रहे साथ इसके
चाहे कितने ही हों गिले शिकवे
चाहे कितने ही हों एक दूजे से
हम जुदा
धड़कन दौड़ लगाती रहे
नाम से तेरे
जो लहराए आसमान पे सरमौर सा
तिरंगा
खून तेरा ख़ून मेरा
सांस तेरी सांस मेरी
एक ही रंग है
एक ही है सबा
जियूं जब तलक मैं
जिए तुझसे मेरी वफ़ा
ये मुल्क है मोहोब्बत और अमन का
जीती रहे तेरी मोहोब्बत मुझसे
जीता रहे अमन तेरे आँगन का
जीती रहे तेरे सदके में हर दुआ
जीते दिलों का दिलों से मेल
जीते क़ुर्बान इस्पे हर रूह का चैन
जिए तेरी मोहोब्बत मुझसे
जिए अमन तेरे आँगन का
के जियूं जब तलक
जाने जहाँ इस
बेगाने को तेरे नाम से
के जाऊं जहाँ से जब
तो गाये ज़माना तुझपे लिखे
मेरे तराने
के खुशबाग़ खिले खिलता रहे
महके तेरी गोद में
फूलों सा हर चेहरा
मिटटी से इसकी लहराता रहे
बोये हर बीज का दाना
शाद रहे आबाद रहे
वतन मेरे तेरा आबदाना
जिए तेरी मोहोब्बत मुझसे
जिए अमन तेरे आँगन का
क़ायम रहे जहाँ में तेरी सदा
ऊंची है उड़ान ऊंची रहे तेरी
रोशन है रोशन रहे
लौ तेरी आज़ादी की
रोशन है रोशन रहे
लौ तेरी आज़ादी की
जिए तेरी मोहोब्बत मुझसे
जिए अमन तेरे आँगन का
सर उठाये ना उठे अब दुश्मन का
अमन के पैग़ामों पे नाम लिखा हो मेरे वतन का !
जिए तेरी मोहोब्बत मुझसे
जिए अमन तेरे आँगन का !
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