सोमवार, 13 जुलाई 2020

गीत - '' घटा बरसी ''



घनन घनन घटा बरसी
 बरसी घटा घनन घनन बरसी
बन घटा घट घट घर से पनघट तक बरसी
पहले सावन में पहली बार बरसी बरसी बरसी
बन घटा घट घट घर से पनघट तक बरसी
पहले सावन में पहली बार बरसी बरसी बरसी
घनन घनन भीगी मन भर
भीजि सब गली गलियार
भीजि अंगना में जमी फुलवार
नयना बरसे मेघ बन
बिजुरी बन हूक चमकी
कहे  सजनी  साजन को
संग साजन के पाऊं जितना
बन बनवारी को मन बावरी
भर भर गागर उतना तरसी
सजनी प्यासी बिरहन बन
प्यासी जनम जनम की
सागर बन डूबी
डूबी डूबी डूबी
जितना उतना फिर भी तरसी 
बनी एक ही बार प्रिये की
प्रियतमा
बाकी जोगन ज्वाला बन भड़की
बनी गुंजन सुन मधुर भ्रमर की
पाती पाती खिली अलि की नलिनी
जे घर बार सजाये घरनी
बनी एक ही बार साजन की सजनी
हारी खेल प्रेम का पिए से
दुल्हन बन सजी  एक बार
जोगन बनी  हर रोज़ फिरती
लागि बेसुध बावरी को
जोग की धुन मलंगी
ढूंढे दरबदर प्रिये पिए
पिया को बन जोगनी
छम छम छम दौड़े
डगर डगरिया
डगर डगरिया
छलकी जाए नैनन से भरी भरी
प्रेम गगरिया
दौड़ी सुध बुध
खोये गंवाए सब
जैसे चपला सी गरजी
पाए पिया को तो
ठौर पाए सजनी
पहले सावन में पहली बार बरसी
बरसी बरसी बरसी
पहले सावन में पहली बार बरसी
कंकन सी मतवारी
ठोकर खायी
 गिरे जाई , सम्भली
कन कन भीजा
असुअन जल सींचा
भिगोये जाए दीवानी
सारी धरती
पाती पाती डोली
पाखी पाखी बोली
निखरी संवरी धरा सारी
खिल उठी रंगों  की होरी
जग तज  भोरी भोरी
सांवरे को जो ढूंढन चली
सलोनी सांवरी प्यारी
लिए नाम मनमोहन की डोरी
मन  ना माने चितचोर का
लियो हर सांवरी की निंदिया
बन ऋतू पुरवैया चोरी चोरी
जो चली थी सांवरी भरन पनिया
ले घट घाट बन घटा
फिरे मन हारे डोली डोली
सांवरे की छवि को ताके
बन चकोर  दिन रैन
जो बाजे बंसी धुन
बिरहन  का उड़ जाए मन
बन चकोरी
ह्रदय में पिए कूके
कूके पिए पिए
पिए पिए रटे जाये
 पिए पिए टेरी
आ जाओ  जो सांवरे पिया
आये कुछ अमृत झोली
बरखा बरसे रिमझिम रिमझिम रिमझिम
ले संग पिए की बावरी को पिए
पिए का आलिंगन बने  बृंदाबन
नाचे जोगन मन पिए के आँगन
बन मोरनी
साजे सजनी साजन  संग
जैसे साजे सिन्दूरी चोली संग
हरी सावन में बसंती ओढ़नी
बन घटा घट घट घर से पनघट तक
बरसी
पहले सावन में पहली बार बरसी
बन घटा घट घट घर से पनघट तक
बरसी
पहले सावन में पहली बार बरसी
मनवारी  बनवारी  को मतवारी तरसी तरसी तरसी
घनन घनन घटा बरसी
 बरसी घटा घनन घनन बरसी
बन घटा घट घट घर से पनघट तक बरसी
पहले सावन में पहली बार बरसी
बन घटा घट घट घर से पनघट तक बरसी
 बन घटा घट घट घर से पनघट तक बरसी।

गीत - सौम्या वफ़ा। ©




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