शुक्रवार, 20 मार्च 2020

तुम बारिश मैं सागर

मेरी आंखों के साग़र में
तेरी हर सांस की लहर का ठिकाना है

इस गहरे समंदर में
तेरे हर राज़ का शामियाना है

ले आओ तो इस बार
कुछ बारिशें ले आना

वर्ना कहने को तो  साग़र है

मगर जीने को पानी यहां
बहुत खा़रा है।


सौम्या वफ़ा।

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