सोमवार, 23 मार्च 2020

आविष्कार

 वो कैसा समय, कैसा युग था
 जब रिश्तों का आविष्कार हुआ था?
 क्या उस आविष्कारक को भी कभी प्यार हुआ था!!!
 या ले ली थी उसने , एक चुनौती
 बिना किसी के दिए स्वयं ही
 उस दिन वो ईश्वर और प्रकृति के विरुद्ध
 युद्ध में उतर गया था
 सारी धरती जो स्वर्ग थी
 बदल दी वो युद्ध भूमि में
 हां वो आविष्कारक ,
  स्वयं को अधिक शक्तिशाली बताने को
  शैतान की शक्ल में तैयार हुआ था
  उस दिन के बाद से फिर हर दिन
  प्यार नहीं कारोबार हुआ था
  सारी कमान थी शैतान की
और नाम पे रीत रवाजों के
  बाहमन  मुल्ला ने ख़ूब बांटे पंजीरी पेड़े
  और बेचने को उस दिन
  बनिया ने हर किस्म का बाज़ार लगाया था
   हर किसी को पकड़ कर लगाए गए थे
  लेबल
  और जो ना हुआ था तैयार लगवाने को
  हर उसको
  समाज के रखवाले शैतान ने
  मौत के घाट उतार दिया था
  उस दिन के बाद से हर दिन
  स्वर्ग सिमट कर रह गया
  पुराणों और किताबों में
 और जीने को हर जगह
  नर्क का विस्तार हुआ था
  उसके बाद से तो बस हर दिन
  रिश्तों का आविष्कार हुआ था
  आवश्यकता अगर आविष्कार की जननी है
  तो क्यूं नहीं ईश्वर ने स्वयं या ख़ुदा ने ख़ुद
  ये लेबल हम सब पर चस्पा किया था?
  जानकर भी चुप रहते हैं
  ये सारे जानने वाले
  कि आविष्कार के नाम पर ही हर बार
  दोहन और शोषण
  इसी नर्क के विस्तार में हुआ था!
  अर्थ से
  अनर्थ हुआ था उस दिन
  जिस दिन रिश्तों का आविष्कार हुआ था
  उस दिन भरे चौराहे पर
  शुद्धता और संपूर्णता की हुई थी फांसी
  और सरलता का भरी सभा में
  चीरहरण का त्योहार हुआ था
  स्वीकार्य का हुआ था जग उपहास
  भावनाओं का तिरस्कार हुआ था
  चहुं ओर
  सत्यम शिवम् सुंदरम का
  नर संहार हुआ था
  नग्न ही पड़ी थी
  प्रकृति की लाश
  ना कफ़न को बढ़ा था कोई आगे
  ना किसी ने अंतिम संस्कार ही किया था!
  मूक दर्शक थे सब इस हाहाकार के
  फिर एक मशाल जली साहस की
  उसे भी मगर फिर
  जल जल कर जीने को
  बहिष्कार दिया था!!!
  वो युग था तमस का अंध गह्वर
  वो युग काले अंधकार का था
  उस दिन हर सरल बहते दरिया में
  एक भंवर तैयार हुआ था
  जिस क्षण उस युग में
  रिश्तों का आविष्कार हुआ था।




सौम्या वफ़ा।
(२३.३.२०२०).


शनिवार, 21 मार्च 2020

रिश्ते, वक़्त और वायरस

अब कुछ नहीं हैं कहने को
बस गहरा पसरा सन्नाटा
यहां और वहां
जैसे टूटा तार बिजली का
ना उमंग ना धारा
ना जीवन प्रवाह

सौम्या वफ़ा।








(It's not You Corona but everyone else).
(Everyone is fighting against a Virus but when your Relation catches a Virus You Just don't Treat it and it Dies).

शुक्रवार, 20 मार्च 2020

तुम बारिश मैं सागर

मेरी आंखों के साग़र में
तेरी हर सांस की लहर का ठिकाना है

इस गहरे समंदर में
तेरे हर राज़ का शामियाना है

ले आओ तो इस बार
कुछ बारिशें ले आना

वर्ना कहने को तो  साग़र है

मगर जीने को पानी यहां
बहुत खा़रा है।


सौम्या वफ़ा।

बुधवार, 18 मार्च 2020

नया नाम पता नया

मैंने नाम ही नहीं बदला
पहचान बदली है
राहें नहीं बदलीं
मंज़िल बदली है
जहां से तुम चले थे छोड़ के
वहीं से नई चाह मिली है
पानी में डूबते की आह थी
मगर डूब के ही थाह मिली है
तुम चले जो आगे
छोड़कर मुझे पीछे
तो मैंने भी उप्पर की राह पकड़ी है
तुमने आकाश होके ज़मीं पे चलना चुना
तो मैंने भी आसमां में उड़ने की चुनी है
मैंने पता ही  नहीं  सूरत भी बदली है
ठिकाना ही नहीं सीरत बदली है
तुम आओ पहचानने तो
ख़ुद को ले के आना
मैंने हर नए पते की चाबी ,आज भी
तुम्हारी ही जेब में रक्खी है
तुम पहचान लोगे मुझको
जो तुमने ख़ुद की पहचान
पहचान ली है
मैंने नाम ही नहीं बदला
पहचान बदली है।

सौम्या वफ़ा।