गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

कनक

 "वो जानती ना थी और कुछ

बस सूरज को पोर पोर पीना

और चांद को घूंट घूंट

काया उसकी ऐसे ही कारिख हुई

और मन

उजियारा कनक।"



सौम्या वफ़ा।©

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें