शनिवार, 8 अगस्त 2020

मन दर्पण

 सबसे सुंदर है बिना कहे 

मन के आंगन में

प्रेम दरपन देख लेना

सबसे मधुर है बिना सुने ही

मौन पड़े सुरों की धुन सुन लेना

सबसे प्रेममय है बिना स्पर्श के ही

आलिंगन में समेट लेना

सबसे मीठा है मन में कड़वा घोले जो 

उसे वहीं रोक लेना

सबसे सुगंधित है

मुरझाए मन में जीवन अमृत बो लेना

मन दर्पण में देखोगे जब भी

सुंदरता की मूरत

दिखेगी अपनी ही 

धुली हुई नई नवेली

भोली सूरत

मन अपना, सूरत अपनी

मन की मूरत में बसती सीरत अपनी

अपनी ही है , अपनी जान के

जब जी चाहे देख लेना

सबसे सुंदर है बिना कहे

मन के आंगन में

प्रेम दर्पण देख लेना।


@सौम्या वफ़ा।०©


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