मंगलवार, 11 फ़रवरी 2020

वो दोनों

वो चुटकुले सुनाता
और वो खिलखिला कर हंसती थी

वो गाने गुनगुनाती
और वो मंद मंद मुस्काता था

वो अपनी सी कहानियां सुनाता
और वो रात भर सुनती जाती थी
वो जानी पहचानी कविता कहती
और वो बीच में ही सो जाता था

जब वो कुछ नहीं कहता
तो वो
चुपके से रो देती थी

और वो खिलखिला कर हंसता था
हर बार
 जब जब उसे रूठने पर
मनाता था

वो कहानियों को तस्वीरों में गढ़ता था
वो तस्वीरों को कविताओं में मढ़ती थी

 उसकी कहानियां
 शायरा के सांसों की डोरी थी
और उसकी कविता
कहानीकार के सुकून की लोरी थीं

एक डोरी से पालना डुलाता रहता
और
एक रात भर लोरी सुनाती रहती थी।




@सौम्य वफ़ा।©®





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